जयपुर जैन सभा समिति
भगवान आदिनाथ जयंती दिनांक 16 मार्च 2012 को स्थापित जयपुर जैन सभा समिति के विधान अनुसार कार्य व उद्देश्य के माध्यम से अपने मंदिर को सब मंदिरों व पूरे जैन समाज से जोड़ने का प्रयास किया गया जिसमें जयपुर के प्रत्येक मंदिर जी की कार्यकारिणी के सदस्य जयपुर जैन सभा समिति के स्वतः सदस्य बने साथ ही प्रत्येक मंदिर जी की कार्यकारिणी द्वारा चार सदस्य स्त्री/पुरुष और मनोनीत कर सकते थे वह भी जयपुर जैन सभा समिति के सदस्य रहे
जयपुर जैन समिति का स्लोगन है सच कहने का रिश्ता पूर्ण साहस शिष्टता और साहस
जयपुर जैन सभा समिति के कार्यों एवं उद्देश्यों के माध्यम से संबंधों को जोड़कर पूरे समाज को संगठित करना का हमारा प्रयास रहा। मूल रूप से हम अपने समाज को एक संगठित आदर्श समाज बनाने की भावना से इस जयपुर जैन सभा समिति के गठन हेतु इकट्ठे हुए हैं संगठित समाज होगा तो समाज की कुरीतियों को दूर करने एवं सरकार से अपने समाज के हित की सुविधाएं आसानी से प्राप्त कर सकेंगे यहां तक कि हम सरकार में अपना प्रतिनिधि विधानसभा व लोकसभा तक भी भेज सकेंगे वर्तमान समय में समिति का कार्यालय श्री दिगंबर जैन मंदिर यतियशोदानंदजी, चैड़ा रास्ता जयपुर में स्थित है।

उद्देश्यः
विधान के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं
1- समाज को संगठित कर समग्र वह चैमुखी विकास हेतु कार्य करना एवं ऐसे कार्य में सहयोग प्रदान करना जैसे शिक्षा, व्यवसायिक प्रशिक्षण, रोजगार, स्वास्थ्य, शमशान स्थलों की देखरेख इत्यादि
2- जैन संस्कृति की रक्षा, उन्नति एवं प्रचार प्रसार में सहयोग प्रदान करना, जैन साहित्य की खोज प्रकाशन एवं अनुसंधान करना व कराना जयपुर जिले के जैन मंदिरों की पुरानी एवं जिम्स इन मूर्तियों की साफ सफाई करना।
3- असहाय प्राणी मात्र के लिए आहार, औषधि, ज्ञान एवं अभयदान की आवश्यकता अनुसार व्यवस्था करना
4- समाज के आर्थिक रूप से जरूरतमंद छात्र-छात्राओं, विधवाओं, असमर्थ एवं वृद्धों की आर्थिक सहायता देना एवं सामाजिक संस्थाओं से इस हेतु यथासंभव सहायता दिलवाना।
5- वृद्धाश्रम, स्वास्थ्य केंद्र, पुस्तकालय, वाचनालय, स्वाध्याय एवं धार्मिक शिक्षा केंद्र इत्यादि की स्थापना एवं उनका सुचारू रूप से संचालन।
6- काॅल सेंटर के रूप में कार्य कर समाज को समस्त जानकारियां उपलब्ध करवाना, ज्वलंत समस्याओं का निराकरण करने में सहयोग प्रदान करन,ा विवाह योग्य उम्मीदवारों के लिए उचित जीवनसाथी के परिचय सम्मेलन व विवरण उपलब्ध करवाना परिवारों एवं पति-पत्नी के आपसी संबंधों को समझाकर दूर करने का प्रयास करना।
7- समान उद्देश्य की अन्य संस्थाओं तथा समाज हितार्थ कार्य कर रही अन्य संस्थाओं से मिलकर समाज के कल्याण एवं विकास हेतु समन्वय करना अन्य संस्थाओं से तालमेल बढ़ाना।
8- अन्य समस्त हुए कार्यसमिति समाज के हितार्थ एवं उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक हो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आवश्यक तथा सहायक हो करना।
प्रबंधः
1- उपर्युक्त उद्देश्यों की पूर्ति एक निर्वाचित समिति द्वारा की जाएगी जिसका नाम प्रबंध कार्यकारिणी जयपुर जैन सभा समिति होगा जो कि 15 व्यक्ति यों की होगी जिसमें 10 नवनिर्वाचित सदस्य 2 सदस्य पूर्व कार्यकारिणी के मंत्री व कोषाध्यक्ष तथा तीन (कोआप्ट) सहवरण सदस्य होंगे सहवरण सदस्य समाज का कोई भी व्यक्ति स्त्री/पुरुष जो 25 वर्ष से बड़े हो बन सकता है।
2- प्रति 3 वर्ष में होने वाले चुनाव में चुने हुए सदस्यों व सहवरण किए हुए सदस्यों का कार्यकाल भी केवल 3 वर्ष का ही होगा पर मंत्री व कोषाध्यक्ष नई कार्यकारिणी के लिए चुना हुआ सदस्य माना जाएगा उन्हें चुनाव लड़ने की आवश्यकता नहीं होगी उन्हें आगामी कार्यकारिणी का स्वतः चुना हुआ सदस्य माना जाएगा।
3- पूर्व कार्यकारिणी का मंत्री व कोषाध्यक्ष नई कार्यकारिणी के लिए चुना हुआ सदस्य माना जाएगा जिसका कार्यकाल वर्तमान कार्यकारिणी के कार्यकाल तक रहेगा यह 2 सदस्य वर्तमान कार्यकारिणी के चुने हुए स्वतः सदस्य रहेंगे।
4- प्रत्येक पद का पर कोई भी पदाधिकारी केवल दो कार्यकाल तक ही चुना जा सकेगा परंतु किसी अन्य पद के लिए चुना जा सकेगा।
5- यह विधान पास होने के पश्चात पहले करीब 1 वर्ष तक जयपुर जैन सभा समिति के सदस्य बनाए जाएंगे उसके पश्चात नए विधानानुसार नई प्रबंध समिति का निर्वाचन किया जाएगा इस प्रथम प्रबंध समिति में वर्तमान समिति के सभी पांचों पदाधिकारी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री, सह मंत्री व कोषाध्यक्ष नई बनने वाली प्रबंध समिति के लिए स्वतः चुना हुआ सदस्य माना जाएगा व केवल 10 नए सदस्यों का निर्वाचन होगा इस प्रथम प्रबंध समिति में सहवरण नहीं किया जाएगा।
सदस्यताः
1- जयपुर का प्रत्येक जैन निवासी जयपुर जैन सभा समिति में सदस्यता फाॅर्म भरने के साथ 500रूपये जमा करवा कर आजीवन साधारण सदस्य बन सकता है।
2- जयपुर का प्रत्येक जैन निवासी जयपुर जैन सभा समिति में सदस्यता फाॅर्म भरने के साथ 5000 रूपये जमा करवा कर आजीवन परामर्श समिति का सदस्य बन सकता है पर उसका अनुमोदन वर्तमान प्रबंध समिति से आवश्यक है।
3- आजीवन सदस्य भी भविष्य में 5000 रूपये जमा करा कर परामर्श समिति के सदस्य बन सकते हैं पर उसका अनुमोदन वर्तमान प्रबंध समिति से आवश्यक है।
अब तक के कार्य की प्रगति एवं आगामी लक्ष्य
1- शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिभावान विद्यार्थियों को अर्थ का भाव रहता है दातार सहायता भी करना चाहते हैं पर किसे वह कहां देवें ताकि सही विद्यार्थियों तक पहुंच सके इस जानकारी का अभाव है जयपुर जैन सभा समिति इसको दूर करने का प्रयास कर रही है जरूरतमंद प्रतिभावान विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों से आग्रह है कि एक पत्र समिति कार्यालय में प्रेषित करें ताकि समिति निर्णय लेकर सहयोग कर सकें।
2- जैन समाज आज एक समृद्ध समाज है जिसमें व्यापारियों, उद्योगपतियों, प्रोफेषनलों को अपने यहां काम करने वालों के नियोजन की आवश्यकता रहती है जिसकी पूर्ति आवश्यकता अनुसार अपने ही समाज से भी किया जा सकता है व अन्य स्थानों की जानकारी में सहायता देने का प्रयास भी जयपुर जैन सभा समिति द्वारा किया जा रहा है।
3- विवाह योग्य उम्मीदवारों को योग्य जीवनसाथी चयन हेतु परिचय उपलब्ध करवाने का भी जयपुर जैन सभा समिति द्वारा रंपदउंजतपउवदपंसण्बवउ पर जिसे सीधे वेबसाइट पर रजिस्टर करवाए जा सकते हैं व व्हाट्सएप पर जैन जीवन साथी परिचय के कई ग्रुपों के माध्यम से किया जा रहा है।
4- पति-पत्नी, परिवार व समाज में उत्पन्न मतभेदों को मिल बैठकर सुलझाने का प्रयास ताकि कोर्ट कचहरी से बचा जा सके जयपुर जैन सभा समिति द्वारा प्रयास किया जा रहा है।
5- छोटे परिवार व अन्य कई कारणों से आज वृद्धों की देखभाल का अभाव होता जा रहा है साथ ही असहाय छात्रों, विधवाओं, अपाहिजों हो आदि की सहायता करना भी इस जयपुर जैन सभा समिति की भावना है जरूरतमंद अकेले रहने वाले वृद्धों के लिए खाने पीने की व्यवस्था व दवाइयों की व्यवस्था के लिए आग्रह है कि एक पत्र समिति कार्यालय में प्रेषित करें ताकि समिति निर्णय लेकर सहयोग कर सके।
6- आपके लिए अनुपयोगी समाज अपने समाज के अन्य जरूरतमंद भाइयों के लिए खुशी व सुख देने वाला उपयोगी सामान जैसे वस्त्र, घरेलू व अन्य सामान की आप से मंगवाने व जरूरत समाज के व्यक्तियों में वितरण जयपुर जैन सभा समिति द्वारा व्यवस्था का प्रयास रहेगा व उनका नाम भी गुप्त रहेगा।
7- अज्ञानतावश हम 90 प्रतिषत से अधिक लोग अपने धर्म के साथ-साथ अन्य धर्मों से भी जुड़ते जा रहे हैं अपने बच्चे व कोई भी अजैन यदि हमसे पूछे कि हमें जैन धर्म क्यों अपनाना चाहिए? उसका संतोषजनक जवाब हम अपनी अज्ञानतावश नहीं दे पा रहे हैं। दैनिक पूजा-पाठ, रात्रि भोजन त्याग ही हमारी पहचान नहीं हो हमें अपने धर्म की विशेषताओं और उनका हमारे जीवन में उपयोगिता का ज्ञान होना अति आवश्यक है। इसका प्रसार करने का जयपुर जैन सभा समिति का विभिन्न माध्यमों से प्रयास रहेगा।
8- मंदिर जी में विराजमान श्री जी की मूर्तियों की विधि पूर्वक परिमार्जन (सफाई) में प्रयुक्त होने वाला सामान का निशुल्क वितरण एवं मंदिरों में परिमार्जन (सफाई) करने की व्यवस्था जयपुर जैन सभा समिति द्वारा की जा रही है।
9- मंदिरजी की धार्मिक पुस्तकों, शास्त्रों की निशुल्क बाइंडिंग की व्यवस्था भी जयपुर जैन सभा समिति द्वारा की जा रही है।
10 कुओं व बोरिंग मैं जल समाप्त की असुविधा से बचने के लिए मंदिरों में वर्षा जल का संरक्षण (वाटर हार्वेस्टिंग) करवाने का प्रयास रहेगा।
11- अपने समाज के प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान पूर्वक दाह संस्कार हेतु शमशान स्थलों में आवश्यक सुधार के प्रयास समिति द्वारा लगातार किये जा रहा है। दाह संस्कार के बाद छानेध् कण्डों के स्थान पर सूखे नारियल की चिटकी से श्रद्धांजलि अर्पित करने की व्यवस्था जयपुर के सभी श्मशान स्थलों में कई वर्षों तक निशुल्क की गई थी ताकि अनजाने में हो रही हिंसा से बचा जा सके। सूखे नारियल की चिटकी तुरंत श्मशान स्थल में बनाकर उपयोग में ली जा सकती है। एक व्यक्ति एक चिटकी से श्रद्धांजलि अर्पित करें तो श्रेष्ठ है।
चांदपोल श्मशान में विद्युत मोक्षधाम गृह में सभी समाजों के सहयोग से स्वेच्छा राशि से दाह संस्कार की व्यवस्था को सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है।
लाल कोठी श्मशान स्थल पर भी शीघ्र विद्युत शवदाह गृह चालू करवाने की व्यवस्था की जा रही है।
12- हमें अपने समाज की हर प्रकार की जानकारी एवं समस्याओं के निराकरण हेतु एक काॅल सेंटर के रूप में विकसित करने जा रहे हैं ताकि एक फोन काॅल से या वेबसाइट ूूू रंपचनतरंपदेंइींण्बवउ पर समस्त जानकारी उपलब्ध हो सके ऐसा हमारा उद्देश्यपूर्ण प्रयास चल रहा है इसे शीघ्र चालू करवाने की व्यवस्था समिति कार्यालय श्री दिगंबर जैन मंदिर यति यशोदानंदजी, चैड़ा रास्ता, जयपुर पर की जाएगी।
13- अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र पूरे समाज के लिए सहयोग कर हजारों की संख्या में अब तक बनवाए जा चुके हैं तथा यह कार्य सत्त प्रगति पर है।
14- दिखावेपन के झूठे अहंकार एवं प्रदर्शन से समाज विखंडित हो रहा है, उसे दूर करने हेतु जयपुर जैन सभा समिति की भावना है कि जन्म, विवाह, मृत्यु एवं त्योहारों आदि में होने वाले कार्यक्रम, नेक, शगुन, रीति-रिवाज, भोज आदि दिखावा मुक्त हों एवं समाज हित में व्यवहारिक नियम अपनाए जाएं।
15- पंच परमेष्ठी का अविनय ना हो इसलिए पंच परमेष्ठी का फोटो आमंत्रण पत्रिका व पोस्टर में नहीं लगाना चाहिए और ना ही छपवाना चाहिए एवं इसका दृढ़ता से पालन करना चाहिए।
16- धार्मिक वस्तुओं का निस्तारण हमारी जिनवाणी, तीर्थंकरों, मुनि महाराजों की फोटो, कैलेंडर, पोस्टर आदि अन्य कोई भी धार्मिक वस्तुएं जो आपके काम नहीं आ रही हैं या जीर्ण-शीर्ण हैं उनका विनय पूर्वक निस्तारण जयपुर जैन सभा समिति द्वारा निरंतर कई वर्षों से करवाया जा रहा है।